आज राष्ट्रीय टीम योगी महासंघ की बैठक प्रदेश कार्यालय पर एक महत्वपूर्ण और व्यापक विषय पर चर्चा करने के लिए संगठन के पदाधिकारियों गण एकत्रित हुए हैं – "वन नेशन, वन इलेक्शन" यानी "एक राष्ट्र, एक चुनाव” पर संगठन के राष्ट्रीय संयोजक एड ० प्रतीक सिंह जी ने कहा कि यह विचार न केवल प्रशासनिक सुधार से जुड़ा है, बल्कि यह भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अधिक प्रभावी, पारदर्शी और सुचारू बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
*वन नेशन, वन इलेक्शन क्यों आवश्यक है?*
बार-बार चुनाव से उत्पन्न समस्याएँ
भारत जैसे बड़े लोकतंत्र में हर साल किसी न किसी राज्य में चुनाव होते रहते हैं।
हर चुनाव के साथ आचार संहिता (Model Code of Conduct) लागू हो जाती है, जिससे विकास कार्य बाधित होते हैं।
सुरक्षा बलों और प्रशासनिक संसाधनों पर अतिरिक्त भार पड़ता है।
चुनावी खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे सरकारी और राजनीतिक दलों के बजट पर असर पड़ता है।
नीतिगत स्थिरता में बाधा
बार-बार होने वाले चुनावों की वजह से सरकारें लंबी अवधि की योजनाएँ नहीं बना पातीं।
कई बार, राजनीतिक दल सिर्फ चुनावी रणनीति के तहत अल्पकालिक नीतियाँ बनाते हैं, जिससे दीर्घकालिक विकास प्रभावित होता है।
राजनीति में पारदर्शिता की कमी
बार-बार चुनाव होने से चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता की कमी आती है।
काले धन के प्रयोग की संभावना बढ़ जाती है।
एक साथ चुनाव होने से राजनीतिक दलों को अधिक जिम्मेदार और पारदर्शी बनने का अवसर मिलेगा।
*"वन नेशन, वन इलेक्शन" से भारत को क्या लाभ होगा?*
बजट और संसाधनों की बचत
भारत में हर चुनाव में हजारों करोड़ रुपए खर्च होते हैं।
अगर लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएँ, तो इससे हजारों करोड़ रुपए की बचत होगी, जिसे शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के विकास में लगाया जा सकता है।
*प्रशासनिक कार्यों में सुगमता*
चुनाव के दौरान पुलिस बल, अर्धसैनिक बल और सरकारी मशीनरी की भारी तैनाती करनी पड़ती है।
एक साथ चुनाव कराने से इन संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा और प्रशासनिक काम सुचारू रूप से चलते रहेंगे।
*राजनीतिक स्थिरता और नीति-निर्माण में निरंतरता*
वर्तमान प्रणाली में जब भी कोई राज्य चुनाव की ओर बढ़ता है, केंद्र सरकार और राज्य सरकारें चुनावी दबाव में आकर लोकलुभावन योजनाएँ लाने लगती हैं।
एक साथ चुनाव होने से सरकारें पूरे कार्यकाल में नीतिगत स्थिरता बनाए रख सकती हैं, जिससे दीर्घकालिक विकास संभव होगा।
*चुनावी माहौल की शांति*
बार-बार चुनाव होने से समाज में राजनीतिक ध्रुवीकरण बढ़ जाता है, जिससे सामाजिक समरसता प्रभावित होती है।
यदि चुनाव एक बार में हो जाए, तो देश को एक लम्बे समय तक शांतिपूर्ण माहौल मिलेगा, जो आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए आवश्यक है।
*हर राजनीतिक दल को इससे कैसे लाभ होगा?*
चुनावी खर्च में कमी
हर राजनीतिक दल को बार-बार प्रचार अभियान, रैलियाँ और प्रबंधन पर भारी खर्च करना पड़ता है।
यदि चुनाव एक साथ होते हैं, तो सभी दल एक ही बार में अपने संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग कर सकते हैं।
नीतिगत स्थिरता से सरकारें मजबूत होंगी
किसी भी दल को यदि 5 वर्षों तक बिना किसी मध्यावधि चुनावी दबाव के शासन करने का अवसर मिले, तो वे लंबी अवधि की योजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
इससे जनता को भी यह स्पष्ट होगा कि उन्हें किस सरकार का आकलन कब और कैसे करना है।
छोटे दलों को मिलेगा समान अवसर
वर्तमान में, बड़े दलों को अधिक प्रचार और संसाधन मिलते हैं, जिससे छोटे और क्षेत्रीय दलों के लिए प्रतिस्पर्धा कठिन हो जाती है।
अगर चुनाव एक साथ होते हैं, तो सभी दलों को समान स्तर पर चुनाव लड़ने का अवसर मिलेगा।
*संविधान और संघीय ढांचे पर प्रभाव*
कुछ लोगों को चिंता है कि 'वन नेशन, वन इलेक्शन' संघीय ढांचे को कमजोर कर सकता है।
लेकिन अगर इसे सही तरीके से लागू किया जाए, तो यह राज्यों की स्वायत्तता को बनाए रखते हुए पूरे देश को एकजुट कर सकता है।
*निष्कर्ष*
"वन नेशन, वन इलेक्शन" केवल चुनावी प्रक्रिया को आसान बनाने का विचार नहीं है, बल्कि यह भारत के लोकतंत्र को अधिक मजबूत, स्थिर और पारदर्शी बनाने का एक प्रयास है।
इस पहल से जनता, सरकार, प्रशासन और राजनीतिक दल सभी को लाभ होगा।
यह विचार न किसी दल के पक्ष में है, न किसी के खिलाफ। यह केवल राष्ट्रहित में है।
अब समय आ गया है कि हम राजनीति से ऊपर उठकर देश की भलाई के लिए इस विषय पर एक राष्ट्रीय संवाद करें और एक ऐसा समाधान निकालें जो भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखते हुए विकास को गति प्रदान करे
आप सभी जागरूक अधिवक्ताओं, विद्वानों और नागरिकों से अनुरोध है कि इस विचार में सहभागी बनें, संवाद को समृद्ध करें और राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभए ।
बैठक में उपस्थित राष्ट्रीय प्रभारी पंकज पांडे जी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मनोज पांडेय जी, प्रदेश अध्यक्ष युवा प्रकोष्ठ ब्रह्मदेव मिश्र जी, महानगर अध्यक्ष समशेर सिंह जी, यमुनापार अध्यक्ष भोला सिंह यमुनापार युवा जिला अध्यक्ष दीपक सिंह जी, सर्वेश सिंह,पूनम दुबे जी आदि शामिल रहे